झारखंड में वर्तमान व पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर
झारखंड के वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिष्ठा इस चुनाव में दांव पर लगी हुई है। राज्य गठन के बाद वर्ष 2000 से अब तक छह नेताओं ने मुख्यमंत्री पद संभाला है। इनमें से तीन पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन, बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा चुनाव मैदान में हैं। दो पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा व हेमंत सोरेन और वर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास चुनाव लड़वा रहे हैं। इन सभी नेताओं के सामने खुद को साबित करने की चुनौती है।
शिबू आखिरी पारी जीत कर बनाना चाहेंगे रिकॉर्डः
झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन आखिरी बार चुनाव लड़ने की बात कहते हुए दुमका से मैदान में उतरे हैं। अब तक वह आठ बार चुनाव जीत कर सांसद बने। अगर इस बार उन्होंने जीत हासिल कर ली तो, नौंवी बार सांसद बनने का सेहरा बंधेगा। साथ ही आखिरी बार जीत के साथ विदाई की इच्छा भी पूरी होगी।
बाबूलाल को बचानी है प्रतिष्ठाः
झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी को पिछले दो चुनावों (लोकसभा व विधानसभा) में हार का सामना करना पड़ा। वह एक बार फिर कोडरमा से चुनाव मैदान में हैं। इस बार जीत उनके राजनीतिक भविष्य की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि वह महागठबंधन का हिस्सा भी हैं।
मुंडा को कद बढ़ाने का मौकाः
पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा भाजपा में कद्दावर नेता जाने जाते हैं। उन्हें तीन बार राज्य का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी ने उन पर विश्वास जताते हुए खूंटी से उम्मीदवार बनाया है। वहां से वर्तमान सांसद भाजपा के कड़िया मुंडा लगातार जीतते रहे हैं। अर्जुन मुंडा को खुद को साबित करने का एक बड़ा मौका मौका मिला है।
रघुवर को राजनीतिक भविष्य के लिए चुनौतीः
मुख्यमंत्री रघुवर दास प्रदेश में पार्टी की कमान भी परोक्ष रूप मे संभाल रहे हैं। टिकट बंटवारे से लेकर जमीनी स्तर तक योजना बनाने में उनकी भूमिका अहम है। वह खुद चुनाव मैदान में नहीं हैं, लेकिन पार्टी के एक-एक प्रत्याशी के नामांकन से लेकर प्रचार में लगे हुए हैं। इस चुनाव में हार-जीत के साथ उनके राजनीतिक भविष्य को भी जोड़ कर देखा जा रहा है।
खुद को स्थापित करना होगा हेमंत को
पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुनाव मैदान में नहीं हैं। झामुमो के चार उम्मीदवार मैदान में हैं। वह महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। यह चुनाव उनके लिए भी महत्वपूर्ण है। उनके सामने खुद और पार्टी को साबित करने की चुनौती है। इस चुनाव के नतीजे से आने वाले विधानसभा चुनाव की बुनियाद पड़ेगी।
कोड़ा को पकड़ दिखाना होगा:
पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। उनकी पत्नी गीता कोड़ा कांग्रेस के टिकट पर सिंहभूम से प्रत्याशी हैं। गीता कोड़ा पिछला लोकसभा चुनाव हार गई थीं, लेकिन इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। मधु कोड़ा पर कई तरह के आरोप लगे हैं। उन्हें उन आरोपों के बीच क्षेत्र में अपनी पकड़ को साबित करने का मौका मिला है। वह गीता कोड़ा को जीताने के लिए रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं।
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